WELCOME



WELCOME TO MY BLOG -----> मेरे इस ब्लाग में आपका स्वागत है.----->आप हिन्दी में लिखते हैं. आप हिन्दी पढ़ते हैं. अच्छा लगता है. मेरी शुभकामनाऐं आपके साथ हैं, लेखो को पढने के बाद कमेंट्स (Comments) देना ना भूलें इससे लेखों को लिखने में अछा लगता है|----->कृपया ध्यान दें - {अब आपकी टिप्पणीयॉ मुझे S.M.S.के द्वारा तुरंत मिलती है।}

Monday, October 18, 2010

मै दीपेश गौतम, जन्म स्थान कोरबा जन्मतिथि 23 जुलाई,
शिक्षा -  माध्यमिक शिक्षा कोरबा, उच्चशिक्षा जनता कालेज चन्द्रपुर (महाराष्ट्र),
व्ययवसाय - नौकरी
रुचि -    कम्प्युटर व उससे सम्बन्धित नई नई जानकारी प्राप्त करना.
              कम्प्युटर मे लोग हिन्दी भाषा का प्रयोग उतनी ही सहजता व
              सरलता से करे जितना अंग्रेजी भाषा मे करते है.
उद्देश्य - हार्ड-वेयर समस्याओ का निराकरण करना.
             कम्प्युटर द्वारा ज्यादा से ज्यादा आउटपुट लेना.
             लोकल एरिया नेटवर्क (लेन)की समस्या कम से कम समय
             मे दूर हो और सुचारु रुप से चल सके.
हम भारतीय ही हिन्दी भाषा का अधिक से अधिक प्रयोग करके सारे देश को प्रान्त,जातिवाद से मुक्त कर उसे एक माला के रुप मे पिरो सकते है.

4 comments:

  1. HOW TO WRITE IN HINDI IN MY COMPUTER WITH OUT USING KEY BOARD.

    ReplyDelete
  2. कोशिश करेंगें आप की समस्या का निराकरण करने की ॥

    ReplyDelete
  3. अक्सर ऐसा क्यों होता है जब…
    अक्सर हमारे जीवन मे कुछ ऐसी बाते घटती है, कि हम सोचने पर मजबूर हो जाते है कि ऐसा क्यों होता है। लीजिए पेश है कुछ ऐसी घटनाएं। अक्सर ऐसा क्यों होता है जब…

    आपके हाथ ग्रीस या गुँथे आटे से सने होते है, तभी फोन की घंटी बजती है।
    अगर पेंच कसते समय, अगर पेंच, बोल्ट गिरा तो सोफे के नीचे या दूर कंही जाकर गिरता है।
    जब आप कोई बेवकूफी भरी हरकत करते है, तभी सभी आपकी तरफ़ देखते है। वैसे बेवकूफी की हरकत और लोगों के देखना समानुपाती होता है।
    गलती से रॉंग नम्बर डायल करने पर हमेशा कोई ना कोई उठा लेता है।
    आपने ऑफिस लेट आने के लिए टायर पंचर का बहाना ठेला था, अगले ही दिन टायर पंचर होता है। (इस बार आपको किसी मरे हुए रिश्तेदार को फिर से मारना पड़ता है।)
    गाड़ी चलाते समय, ठसाठस थकी हुई लेन से जैसे ही आप लेन बदलते है, तो आपकी लेन रुक जाती है। और थकी हुई लेन मे दनादन गाड़िया आपको चिढाते हुए निकलती है।
    जब आप नहा रहे होते है, तभी दरवाजे की घंटी बजती है।
    जब आप अपनी गर्लफ्रेंड को शॉपिंग मॉल मे टहला रहे होते है, तभी कोई ससुराली रिश्तेदार/या दोस्त आपको मिलता है।
    आपके हाथ ग्रीस या गुँथे आटे से सने होते है, तभी कंही खुजली होती है।
    जब आप अपने बॉस को प्रूव करने की कोशिश करते है कि सिस्टम काम नही कर रहा, तभी वो सही काम करता है।
    खुजली जितनी सटीक जगह होती है, मन भी उतना ही ज्यादा मचलता है।
    सिनेमा हॉल मे आपके आगे वाली सीटों के लोग हमेशा देर से आते है।
    आप अपने ऑफिस मे कॉफ़ी आर्डर करते है, तभी आपको बॉस का बुलावा आता है, कॉफ़ी का ठंडा होना तय है।
    बैंक के लॉकर रुम मे अगर दो लोग है, तो दोनो के लॉकर आस पास ही होते है।
    आप मेहमानो के लिए नया कॉरपेट बिछाते है, बच्चे उस पर खाना जरुर गिराते है।
    बहस करते समय आप अपनी कम जानकारी वाले विषय पर ही ज्यादा बोलते है।
    बड़ी मुश्किल से आपकी साइज के फिट कपड़े मिले है, लेकिन रंग आपकी पसन्द का नही मिलता।
    जैसे ही आपको कोई चीज पसंद आती है, या तो वो आउट आफ मार्केट हो जाती है अथवा बननी ही बन्द हो जाती है।
    डाक्टर की अपाइंटमेंट मिलते ही आपका बुखार सुधरने लगता है।
    कम्प्यूटर टैक्नीशियन के आते ही आपकी प्राबलम सुलझ जाती है।
    आपकी शादी होते ही खूबसूरत लड़कियों/लड़कों की जैसे बाड़ ही आ जाती है। आपके समय मे सूखा पड़ा था लगता है।
    अगर आपको कुछ ऐसे ही नियम पता हो तो जरुर शेयर करें, आते रहिए पढते रहिए।

    ReplyDelete

आपकी अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद.
कृपया ध्यान दें - {अब आपकी टिप्पणीयॉ मुझे S.M.S.के द्वारा तुरंत मिलती है।}स्पैम (वायरस, ट्रोजन व रद्दी साइटों इत्यादि की कड़ियों युक्त)टिप्पणियों की समस्या के कारण टिप्पणियों का मॉडरेशन न चाहते हुए भी लागू है. अतः आपकी टिप्पणियों को यहां पर प्रकट व प्रदर्शित होने में कुछ समय लग सकता है.

LinkWithin

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...