खुशबू तुम्हारे प्यार की आती है पवन में,
सुनता हूँ तुम आओगी इस बार सावन में । बाहों के हार कुछ् नहीं हैं मेरी निगाह में,
अपनी पलकें बिछा दीं मैंने तुम्हारी राह में ॥
तुम आओ कि बहार आये "दीपेश" के चमन में,
खुशबू तुम्हारे प्यार की आती है पवन में ॥
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